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एक छेव मरले / मोती बी.ए.
Kavita Kosh से
एके छेव मरले
गड़हा ना होला
गड़हा होला
छेव पर छेव मरले
एके लाठी
साँप ना मूवे
साँप मूवेला
ताबड़तोड़ लाठी बरिसवले
रसरी के एके घर्रा से
सील पर निसान ना परे
रसरी पर रसरी के घर्रा से
पत्थर पर गहिर निसान परि जाला
जड़ के कवनो
सींगि पोंछि ना होला
जो होखबो करे
त रगड़ खइला से
घिसइला से साफ हो जाला
मूरख, उठु जागु
कवले सूतल रहबे
देहिं से करम ले
मेहनति करबे
कवनो काम करबे
अदिमी हो जइबे
बिना मेहनति के
के अदिमी भइल बा रे
तोके छाँड़ि के।
29.07.92