भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक टांग पर / मनमीत सोनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लकीर ना लांघ
सीख इण री
लकीर तोड़ दे
दीठ उण री

म्हैं ऊबो
लाखूं बरसां सूं
एक ई टांग पर
ना अठीनैं रो
अर
ना ई बठीनैं रो

बस...
लकीर रो फकीर।