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एक तुम्हारे होने से / सोनरूपा विशाल
Kavita Kosh से
एक तुम्हारे होने से हर साँस ज़रूरी लगती है
वर्ना जीवन जीना भी अक्सर मजबूरी लगती है
ख़ुद पर प्यार बहुत आया जब साथ तुम्हें अपने पाया
दोपहरी से जीवन ने पल भर में पहन लिया साया
कोरे कोरे दिन की हर शय अब सिंदूरी लगती है
एक तुम्हारे होने से हर साँस ज़रूरी लगती है
सुख और दुःख के रिश्ते को रात और दिन सा स्वीकार किया
तुम्हें ध्यान में रखकर हमने हर सच का सत्कार किया
साथ तुम्हारा पाकर हर मुश्किल से दूरी लगती है
एक तुम्हारे होने से हर साँस ज़रूरी लगती है
मन की मुँदरी में मोती सा प्यार तुम्हारा जड़ कर हम
जीवन की परिभाषा समझे ढाई आखर पढ़ कर हम
इन्द्रघनुष से जीवन की थी साध जो पूरी लगती है
एक तुम्हारे होने से हर साँस ज़रूरी लगती है