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एक दिन में आख़िर / तेजी ग्रोवर
Kavita Kosh से
एक दिन में आख़िर कितनी बार लगना है
यह अन्तिम क्षण है
कितनी बार तुम्हारी आँखें चूमते हुए
कई जन्म कौंध जाने हैं
घास के दो हरे साँप मेरे स्वप्न में लगातार रहते हैं
ये कौन हैं, अस्सू, मेरे बच्चे
मेरे झोले की जेब से मुण्डी निकाल वे क्या माँगते हैं
यह कौन है, मेरी माँ, जो इस समय मुझसे प्रेम कर रहा है
देह की कामना करते हुए
दुख क्यों आ रहा है बार-बार हमारे पास
मैं इतना बोल क्यों रही हूँ