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एक धूप एक नदी / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
धूप
एक पदार्थ है
जिसे हम कभी
पकड़ नहीं पाएंगे
एक
नदी
जिसमें तैर नहीं पाएंगे कभी
धूप
एक
पत्थर है
हमसे जो कभी
गढ़ा नहीं जाएगा