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एक बात / चित्रकार / नरेश अग्रवाल
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जागने वालों के लिए एक पुकार ही काफी है
सोने वालों के लिए सहारा किसी कुर्सी का भी
एक ही इशारा चुप रहने के लिए
एक ही इशारा बोलने के लिए
हम कभी कितने अपने लगते हैं, दूसरों को
और कभी कितने पराये
और यह कितनी सुन्दर बात है-
कितने ही तीखे स्वाद से झल्लायें हम
लेकिन दोष अपनी जीभ पर कभी मढ़ा नहीं हमने।