भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक बूंद, एक बूंद है / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने पृथ्वी पर पाप की एक बूंद गिराई

क्या
पृथ्वी पर
पाप की एक बूंद
ठंडे
पारदर्शी
पानी की एक बूंद की तरह
दीखती है?

मैं बुदबुदाता हूँ
समुद्र में
एक बूंद
एक बूंद है
और धरती सिवाय समुद्र के और क्या है?