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एक बेहद मामूली प्रेम-कथा / लवली गोस्वामी
Kavita Kosh से
मेरा मन बर्फीली घाटी का वह रास्ता था
जिससे या तो वे भिक्षु गुजरे
जिन्हें लौटना सिखाया ही नहीं गया था
या फिर वे व्यापारी बंजारे जिनका मक़सद
बाज़ार तक जाने वाले नए रास्ते तलाशना था
बंजारों ने मुझे बेकार बीहड़ कहा
वे बसावटों में दुकानदारी जमाने के लिए कटने-मरने लगे
दुनियादार ज्ञानियों ने मुझे नज़र बांधने वाली माया कहा
वे भीड़ जमाकर पत्थर पूजने लगे
तुम्हें देखकर मैंने जाना बीहड़ में
सिर्फ वे बसते हैं जो ख़ुद बहिष्कृत होते हैं
जीवन ने मुझे यह सिखाया
अगर मन नीरव बर्फीले पड़ावों सा हो
तो बसावटों का मोह नहीं करना चाहिए
वे लोग गलत होते हैं जो मानते हैं
कि यात्रा की स्मृतियाँ
केवल यात्रियों के पास होती है।