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एक भगवान था / ब्रज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
मुझे भी कोई डांट देता था
सुबह देर तक सोने पर
गर्व करता था कोई
मेरे भले कामों पर
मुझे हरारत तक होने पर
घबरा जाता था कोई
जिम्मेदारी निभाना सिखाता था
जिम्मेदारी ख़ुद निभाकर
मेरी बेटी के सामने
मेरी ग़लती बता देता था कोई
आहट
लिए ही रहता था हर समय
कि मैं कहाँ हूँ इस समय
मेरे जीवन में भी एक भगवान था
घर में थी एक मज़बूत छत
ग्यारह साल पहले तक
ग्यारह साल पहले तक
मैं भी पिता वाला था