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एक रात / नरेन्द्र कुमार
Kavita Kosh से
अपने ही बोझ से लदा
वह घर लौटता है
थोड़े पैसे और
ज़्यादा पसीने के साथ
गली के कुत्ते
करते हैं तसदीक
एक भद्दी गाली...
फिर से सब शान्त
बिस्तर में कुनमुनाते बच्चे
नींद में ही कर रहे शिकायत
पत्नी की आँखों में है
उसके देर रात तक
बाहर रहने का ग़म
या घर लौटने की ख़ुशी
जानने की इच्छा भी बची कहाँ
और इच्छाओं की तरह