भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक रोटी / कैलाश पण्डा
Kavita Kosh से
एक हिन्दू के घर
राम के नाम पर
दे-दे बाबा
एक मुस्लिम के घर
अल्लाह के नाम पर
दे-दे बाबा
ईसाई के घर
यहूदी के घर
ना जाने कहां-कहां
किस-किस पंथ की
चौखट पर
वहीं आदमी
ना समप्रदाय
ना धर्म विशेष
ना जाति भेद का फंदा
वह कहता है
मैं अपना धर्म निभाता हूं
उदर पूर्ति का साधन
अपनाता हूं
जिस किसी भी नाम पर दे दे
एक रोटी दे-दे बाबा।