एक संवाद / निदा नवाज़
जब तक मैं तोड़ लाऊंगा
समुद्र से एक लहर
तुम गर्म तवे पर सेंकना
एक रोटी
जब तक चाँद यूं ही चमकता रहे
तुम उड़ाना अपनी छत के
सारे कबूतर
जब तक तूफान थम न जाए
तुम न मांगना बारिश रुकने की
कोई दुआ
कवि तुम समुद्र में
क्या ढूंढ़ते हो?
अपने लिए घाव भर नमक
और तुम्हारे लिए ह्रदय भर हरिकेन
लड़की तुम चाँद से
क्या मांगती हो?
अपने लिए मांग भर मोती
और तुम्हारे लिए चाँदनी भर चाहत
कवि तुम लहर से
क्या तराशोगे
अपने लिए आकाश भर आँख
और तुम्हारे लिए स्रष्टि भर सपना
लड़की तुम तवे में
क्या ढूंढती हो
अपने लिए आंचल भर अंच
और तुम्हारे लिए मुस्कान भर मिलन
कवि कबूतर से
क्या माँगा जा सकता है?
आकाश में उड़ने की प्रवृति
लड़की तूफ़ान से
क्या सीखा जा सकता है?
विशाल रेगिस्तान को
उड़ाने की कला
लड़की तुम्हारे समुद्र में
सुनामी आ रही है
और कवि
तुम्हारा चप्पू भी तो
टूटने लगा है.