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एक सच / शहरयार
Kavita Kosh से
शोर समाअत के दर पे है, जानते हो
मौत के क़दमों की आहट पहचानते हो
होनी को कोई भी टाल नहीं सकता
यह इक ऎसा सच है, तुम भी मानते हो।