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एक सपना दिए का जिएँ / शतदल

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        एक सपना दिए का जिएँ
        हम अँधेरा समय का पिएँ

दीप बालो, हृदय में धरो!
हर दिशा में, उजाला करो!
दीप की बात इतनी सुनो;
रोशनी के दुशाले बुनो;

        एक पल के लिए ही सही-
        दिन गिनो, रात को भी गुनो;

ज़िंदगी के अंधेरे हरो!
हर दिशा में उजाला करो!
दीप बालो, हृदय में धरो!

        ज्योति अपनी कथाएँ कहे;
        वह किसी रूप में भी रहे;
        रोशनी का यही धर्म है-
        हर गली, गाँव-घर में बहे;

दीप के पर्व इतना करो!
आज घर-घर उजाला भरो!
दीप बोलो, हृदय में धरो!

        दीप ने गीत ऐसा लिखा;
        वह मिला तो सभी कुछ दिखा;
        भूमिका दीप की है कठिन
        तुम करो तो सही एक दिन

बस यही भूमिकाएँ करो!
हर दिशा में उजाला करो!
दीप बालो, हृदय में धरो!