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एक ही वक्त में / अरविन्द श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
एक युवक सोच रहा है
धरती और धरती के बाशिन्दों के लिए
यह समय बेहद खराब है
सामने की छत से एक स्त्री
छलांग लगाकर कूदना चाहती है
पड़ोस मे बिलखता एक बूढ़ा
ईश्वर से
खुद को उठा लेने की प्रार्थना कर रहा है
एक लड़की अभी-अभी अगवा हुई है
एक लड़का
अभी-अभी ट्रक से कुचला गया है
एक बुढ़िया सड़क किनारे
बुदबुदा रही है
‘यह दुनिया नहीं रह गयी है
रहने की काबिल’
ठीक ऐसे ही वक्त में
एक बच्चा अस्पताल में
गर्भाशय के तमान बंधनों को तोड़ते हुए
पुरजोर ताक़त से
आना चाहता है
पृथ्वी पर!