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एकर आज्या रे चांद! / दुष्यन्त जोशी

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थूं दूर खड़्यो मुळकै
देख
आं टाबरां कानीं देख
अै दो दिनां सूं
टसकै टीकड़ां सारू
 
एकर आज्या रे चांद!
आं भोळाभाळा
अर भूखा
टाबरियां रै हाथां में
रोटी रै मिस
बस एकर आज्या
 
टाबर
रूप हुवै भगवान रो
एकर आय’र बिलमाज्या
एकर आज्या रे चांद!