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एनस्थीसिया / रश्मि भारद्वाज
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नीली चादर
नीली दीवारें
नीली आकृतियाँ
आसपास फैलता है नीला रंग
धीरे-धीरे भारी होती हैं पलकें
एक सुरंग है
एक रोशनी है कहीं दूर
मैं बहती हूँ रोशनी की तरफ़
मेरी देह देखती है मुझे
ठण्डी, बेजान
रेंगती है मुझ पर कुछ अजनबी उँगलियाँ
एक टुकड़ा मौत और एक जिन्दगी
कुछ याद नहीं
और कुछ भूलता भी नहीं
याद करने और भूलने के बीच की सन्धि-रेखा-सा
मिलता है जीवन
फिर एक बार
हम लौटते रहें हैं बार-बार
एक मृत्यु-नीन्द के बाद
एक मृत्यु-नीन्द के लिए