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ऐलै वसंत विभोर पहुना / अनिल कुमार झा
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ऐलै वसंत विभोर पहुना
कुंज गली में शोर पहुना।
की बच्चा की बूढ़ोॅ सभ्भेॅ
अंग निरखी के अंके शोभै,
उमतैलोॅ जाय किशोर पहुना
ऐलै वसंत विभोर पहुना।
महकी महकी महुआ इतरावै
काम चतुर मन भी छितरावै,
ऋषि मुनी मारे जोर पहुना
ऐलै वसंत विभोर पहुना।
झीलोॅ के रूकलोॅ पानी ऐना
उमकि उमकि गोरी के देखना,
काजल करै इंजोर पहुना
ऐले वसंत विभोर पहुना।
एक्के लगन के सबहे जतन छै
जेकरा देखो मगने मगन छै
भंगिया के चुअै छै लोर पहुना
ऐलै वसंत विभोर पहुना