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ऐसा पावन प्यार तुम्हारा / बुलाकी दास बावरा
Kavita Kosh से
ऐसा पावन प्यार तुम्हारा
जैसे गंगा बीच किनारा
तुम आभा हो मैं छाया हूँ,
तुमसे ही कुछ हो पाया हूँ,
जन्म जन्म की उपलब्धी तुम
तेरी शक्ति एक सहारा
ऐसा पावन प्यार तुम्हारा
जेसे गंगा बीच किनारा
कमियों का संसार लिये हूँ
पीडा का आगार लिये हूँ
सम्बल की एकाकी सीमा
तिस पर तेरी सुषमित कारा
ऐसा पावन प्यार तुम्हारा
जैसे गंगा बीच किनारा
किस बन्धन से बांधूँ तुमको ?
किस साधन से साधूँ तुमको ?
तेरा साया शुभ्र ज्योत्सना
जिसकी महिमा लख-लख हारा
ऐसा पावन प्यार तुम्हारा
जेसे गंगा बीच किनारा
जीवन की हमराज तुम्ही हो
जीने का अन्दाज तुम्ही हो
संभव तुमसे संवर-संवर कर
किंचित दूर करूं अंधियारा
ऐसा पावन प्यार तुम्हारा
जैसे गंगा बीच किनारा