भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ओ! तू था कहाँ / कविता भट्ट

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1
चाँदनी रात
हाथ में तेरा हाथ
प्रेम की बात
2
है तो उजाला
दुःख भी तेरे साथ
तारों की माला
3
प्यार तू मेरा
तेरी इन आँखों ने
जाने किया क्या
4
साँझ-सवेरे
हिचकियाँ दे रही
संदेश तेरे
5
न कोई बाँचा
केवल तू समझा
प्यार ये साँचा
6
निर्बल जीव
चढ़ाई-उतराई
मन-कल्पना
7
है अपना- सा
इतनी अवधि से
ओ! तू था कहाँ
8
सुकून पाया
तेरा चेहरा देखा
पहाड़ी चाँद
9
दिवस डूबा
मेरा वो मनमीत
अभी न आया
10
मन में तू है
दुनिया का ना डर
तू न रूठना



-0-