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ओ चुम्बकीय दक्षिण / वाल्ट ह्विटमैन / दिनेश्वर प्रसाद

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ओ चुम्बकीय दक्षिण ! ओ दीप्तिवन्त सुगन्धित दक्षिण ! मेरे दक्षिण !
ओ त्वरित ओज ! समृद्ध रक्त ! आवेग और प्रेम ! भले और बुरे,
ओ  सब- के-सब मेरे प्रिय !
ओ मुझको प्रिय  मेरी जन्म-वस्तुएँ-सभी गतिशील वस्तुएँ  और
वृक्ष जहाँ मैं जन्मा था — ध्रान्य, मैदान और नदियाँ,
मेरी प्रिय मेरी मन्द श्लथ नदियाँ, जहाँ रजत बालुकाओं के
समतल या दलदलों से होकर बहती हैं,
मेरी प्रिय रोअनोक, सवाना, अल्टैमहॉक, पेडी, टॉमबिगबी,
सैंण्टी, कूसा और सैबाइन,
ओ विषादमग्न, दूर-दूर भ्रमण करते, मैं अपनी आत्मा के साथ
उनके तटों पर बार-बार आते रहने के लिए लौटता हूँ
मैं पुनः फ्लोरिडा में पारदर्शी झीलों पर तैरता हूँ
मैं ओकचोबी पर तैरता हूँ मैं टेकरी  भूमि या रमणीय
बिवरों से हो कर या सघन वनों को पार करता हूँ,
मैं जंगलों में तोते देखता हूँ, मैं पावपाव वृक्ष
और मुकुलित टीटी देखता हूँ;
पुनः डेक पर अपने तटपोत में यात्रा करते मैं तट के साथ
चलते जॉर्जिया से दूर चला जाता हूँ, मैं कैरोलिना की ओर
यात्रा करता हूँ
मैं यह देखता हूँ कि ज़िन्दा शाहबलूत कहाँ बड़ा हो रहा है,
मैं देखता हूँ कि पीला चीड़, सुगन्धित बे-वृक्ष, नीम्बू और नारंगी, सरू,
सुकुमार लघुताल पादप हैं,
मैं ऊबड़-खाबड़ अन्तरीप पार करता हूँ, उपखाड़ी के रास्ते
पामलीको जलडमरूमध्य में प्रवेश करता हूँ, और अपनी
दृष्टि भीतरी प्रदेश पर दौड़ाता हूँ,
ओ कपास पादप् ! धान, ईख, भाँग के बढ़ते हुए खेत !
काँटों से घिरे कैक्टस, बड़े उजले फूलों वाले
लॉरेल वृक्ष, सुदूर अवस्थित पर्वतमाला, समृद्धि और ऊसरता,
मिसलटो और अनुवर्ती काई से भरे
पुराने जंगल पाईन वृक्षों की गन्ध और उदासी और विस्मयकारी नैसर्गिक
मौन (यहाँ इन सघन दलदलों में जलदस्यु अपनी बन्दूक
उठाए चलता है और भगोड़े की अपनी गुप्त झोपड़ी है)
और सरीसृपों से ग्रस्त, घड़ियाल की चीख़ से गुँजायमान,
रात्रि उलूक के उदास कोलाहल और वनमार्जार और 
रैटल सर्प की सनसनाहट भरे अर्ध-ज्ञात अर्ध-अलँघ्य
दलदलों के विलक्षण आकर्षण ।
पूरे पूर्वाह्न गाने वाला पूरी चान्दनी रात गाने वाला नकल पक्षी, अमेरिकन
स्वाँगिया,
मर्मरपक्षी, जंगली पीरू पक्षी, ऋक्षक, ओपोसम;
केण्टुकी का मकई खेत, ऊँची, सुकुमार लम्बी पत्तियों वाली,
छरहरी, फड़फड़ाती, झब्बों से चमकीली हरी, सुन्दर
बालियों वाली मकई, जिनमें प्रत्येक बाली छिलके से
अच्छी तरह ढँकी है,
हे मेरे हृदय ! हे कोमल और प्रबल पीड़ा । मैं इन्हें नहीं सह पाऊँगा,
मैं यहाँ से चला जाऊँगा;
ओह, वहाँ का वर्जीनियावासी होना जहाँ पल कर मैं बड़ा 
हुआ था ।
ओह, कैरोलियन होना !
ओ आशुप्रभावी आकांक्षा ! ओह, मैं पुरानी टेनिसी
लौट जाऊँगा और फिर कभी नहीं भटकूँगा ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : दिनेश्वर प्रसाद

लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
                  Walt Whitman
                O Magnet- South

O MAGNET-SOUTH! O glistening perfumed South! my South!
O quick mettle, rich blood, impulse and love! good and evil! O
all dear to me!
O dear to me my birth-things—all moving things and the trees
where I was born—the grains, plants, rivers,
Dear to me my own slow sluggish rivers where they flow, distant,
over flats of silvery sands or through swamps,
Dear to me the Roanoke, the Savannah, the Altamahaw, the
Pedee, the Tombigbee, the Santee, the Coosa and the
Sabine,
O pensive, far away wandering, I return with my soul to haunt
their banks again,
Again in Florida I float on transparent lakes, I float on the Okee-
chobee, I cross the hummock-land or through pleasant
openings or dense forests,
I see the parrots in the woods, I see the papaw-tree and the blos-
soming titi;
Again, sailing in my coaster on deck, I coast off Georgia, I coast
up the Carolinas,
I see where the live-oak is growing, I see where the yellow-pine,
the scented bay-tree, the lemon and orange, the cypress,
the graceful palmetto,
I pass rude sea-headlands and enter Pamlico sound through an
inlet, and dart my vision inland;
O the cotton plant! the growing fields of rice, sugar, hemp!
The cactus guarded with thorns, the laurel-tree with large white
flowers,
The range afar, the richness and barrenness, the old woods
charged with mistletoe and trailing moss,
The piney odor and the gloom, the awful natural stillness, (here
in these dense swamps the freebooter carries his gun, and
the fugitive has his conceal'd hut;)
O the strange fascination of these half-known half-impassable
swamps, infested by reptiles, resounding with the bellow
of the alligator, the sad noises of the night-owl and the
wild-cat, and the whirr of the rattlesnake,
The mocking-bird, the American mimic, singing all the forenoon,
singing through the moon-lit night,
The humming-bird, the wild turkey, the raccoon, the opossum;
A Kentucky corn-field, the tall, graceful, long-leav'd corn, slender,
flapping, bright green, with tassels, with beautiful ears each
well-sheath'd in its husk;
O my heart! O tender and fierce pangs, I can stand them not, I
will depart;
O to be a Virginian where I grew up! O to be a Carolinian!
O longings irrepressible! O I will go back to old Tennessee and
never wander more.