भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ओ हाथी प्यारे / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
सूँड़ हिलाता हाथी आया
बोला-जाऊँगा दिल्ली,
मुझे चिढ़ाकर भाग गई है
मोटी सी एक बिल्ली।
मैं बोला-ओ हाथी प्यारे
तू वन का है राजा,
छोड़ उसे तू, खा जंगल के
फल ये ताजा-ताजा।
बहुत बड़ी है दिल्ली, उसमें
बिल्ली छिप जाएगी,
खूब हँसेगी तुझ पर,
तेरे हाथ नहीं आएगी।