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ओळखतां थकां ई / नीरज दइया
Kavita Kosh से
म्हैं गफल रैयो
थे होकड़ा लगा लगा’र
रचता रैया
नित नूंवां रास !
म्हनै अळघो राख’र सांच सूं
थां साज्या- थांरा मतलब ।
आज म्हैं
थांनै ओळखता थकां ई
थांरा होकड़ा उतारण री ठौड़
होकड़ा लगावण री सोचूं ।