भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ओळ्यूं / संतोष मायामोहन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सोनलिया रेत
बायरियो मांडै
लहरां
    नीर री।
बरकां
धारै माछळिया रूप
मरुधर नैं ओळ्यूं आवै
    समद री।