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ओळ्यूं : दोय / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
म्हारै गांव री
गुवाड़ रौ रूंख
जठै
टाबर खेलता
लुकमीचणी
जठै
छोरियां लेंवती
हींडा
जठै
पाखी बणांवता
आलणौ
जठै
बटाऊ बैठ'र
सुस्तांवता
अबै
रूंख री जिग्यां
खाली ठूंठ है
जिण माथै बैठ'र
गांव रा छोरा
करै नशौ-पतौ
अर नूवां-नूवां
गाणां गावै
रूंख
थारी ओळ्यूं आवै।