भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
और बात है / कुँअर बेचैन
Kavita Kosh से
पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है
पर तू ज़रा भी साथ दे तो और बात है
चलने को एक पाँव से भी चल रहे हैं लोग
पर दूसरा भी साथ दे तो और बात है