भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

और शब्द भी हैं / देवेन्द्र रिणवा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हवा, पानी, मिट्टी
आग और आकाश ही नहीं
शब्द भी है
देह की संरचना में

शब्द
हवा को गति की
पानी को शीतलता की
मिट्टी को उर्वरा की
और
आकाश को विस्तार की
गरिमा प्रदान करता है

देह से
शब्द जब अलग हो जाता है
मृत्यु हो जाती है