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और सुनाओ कैसे हो तुम / विज्ञान व्रत
Kavita Kosh से
और सुनाओ कैसे हो तुम ।
अब तक पहले जैसे हो तुम ।
अच्छा अब ये तो बतलाओ
कैसे अपने जैसे हो तुम ।
यार सुनो घबराते क्यूँ हो
क्या कुछ ऐसे वैसे हो तुम ।
क्या अब अपने साथ नहीं हो
तो फिर जैसे तैसे हो तुम ।
ऐशपरस्ती । तुमसे । तौबा ।
मज़दूरी के पैसे हो तुम ।