भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

औरत / सुधीर सक्सेना

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(कायसिन कुलियेव के लिए

थम गई अचानक हवा,
दिशाएँ स्तब्ध
सूरज के माथे पर चुहचुहाया पसीना
अनझप पेड़ों के साथ
निहारता है कवि अपलक

नदी में एक औरत नहा रही है ।