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औरों की दुनियाँ में झाँका जाता है / अंजनी कुमार सुमन

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औरों की दुनियाँ में झाँका जाता है
खुद को दीवारों से ढाँका जाता है

लाख हुनर हो शामिल लेकिन ये सच है
कमजोरों को कम ही आँका जाता है

इस हालत में दर्ज़ी खोज नहीं मिलता
घाव दिलों का खुद ही टाँका जाता है

पहले दाना डालो जाल लगाओ फिर
मछली ऐसे थोड़े छाँका जाता है

खबर बनी है फिर अनुकूलित कमरे में
धूल धुआँ अब किससे फाँका जाता है