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कई बार मैंने अपने दिल से कहा / नवल
Kavita Kosh से
कई बार मैंने अपने दिल से कहा
फ़रेब और उम्मीद
उम्मीद और इन्तज़ार
इन्तज़ार और हवस
हवस और दर्द एक दूसरे को
आरे की तरह काटते हैं
उनसे किसी भी तजुर्बेकार को दूर रहना चाहिए
दिल ने मेरी हाँ में हाँ मिलाई
लेकिन चला उसी रास्ते पर
जहाँ उसने जाना चाहा
दिल ने खाई ठोकरें
मेरे हाथों में आए तजुर्बे
लेकिन तजुर्बों के चिराग़ से
ज़िन्दगी रौशन न हुई।