भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कच्चे धागे से बंधे रिश्ते / श्याम सखा 'श्याम'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रिश्ते
हाँ दोस्तो
रिश्ते कई तरह के होते हैं
एक तरह के रिश्ते
तो हमारे साथ-साथ पैदा हो जाते हैं
हाँ
हमारे पैदा होते ही
जुड़ जाते हैं
क्विक-फ़िक्स से
हमारे वजूद के संग
जैसे
माता-पिता
भाई-बहन
मामा-नाना
दादा-दादी
बूआ-मौसी आदि
ये रिश्ते
मकड़ जाल की तरह उलझे होते हैं
हमारे वजूद से
हम इन्हे नकार तो सकते हैं
तोड़ नहीं सकते
ये जुड़े रहते हैं हमारे साथ
जन्म भर
और मौत के बाद भीदूसरी तरह
के रिश्ते
ये रिश्ते
होते हैं
दोस्ती के
प्यार के
मान के-मनुहार के
बड़े प्यारे
सजीले
अलबेले-मस्ताने
रिश्ते होते हैं
और सभी रिश्तों
से अधिक मजबूत
होते हैं ये रिश्ते
पर ये रिश्ते
बन्धे होते हैं
कच्चे धागे से
बड़े नाजुक
होते हैं ये धागे
और इसी वजह से
ये रिश्ते
वाकई नाजुक होते हैं
सोहनी के कच्चे घड़े
जैसे नाजुक
ठेस लगी और दरके
इन्हे सँभाल कर
रखना होता है
सँभालकर रखना चाहिये
क्योंकि ये नाजुक रिश्ते
जब टूटते हैं
तो
बड़े गहरे जख्म छोड़ जाते हैं
दिल पर-दिमाग पर
‘अश्वथामा के माथे के
कभी न भरने वाले घाव की तरह’
और इन
रिश्तों के ये जख्म
रिसते रहते हैं
सुलगते रहते हैं
धुआंते रहते हैं ताउम्र
इन्हे सँभाल कर
रखें
दरकने न दें