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कटघरा / मनजीत टिवाणा / हरप्रीत कौर
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					वे कहते — 
तुम्हारा पहली ग़लती, तुम लड़की हो 
दूसरी — तुम काली हो 
तीसरी — कविता लिखती हो 
चौथी — तुम भेड़ियों के शहर में 
एक अच्छी बेवक़ूफ़ भेड़ नहीं बन सकी 
हमारे देश में 
इनमें से एक ग़लती ही 
काफ़ी है 
ख़ुशियाँ छीनने के लिए... 
 
पंजाबी से अनुवाद : हरप्रीत कौर
 
	
	

