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कड़वाहटें / हरकीरत हकीर
Kavita Kosh से
मैंने घोल दीं हैं हवाओं में
सारी कड़वाहटें
उम्रों की
अब यहाँ कोई पत्ता
इश्क़ का नहीं खिलता
काँपती है जुबाँ मोहब्बत के नाम से
कई छाले इश्क़ के बदन से
फूटते हैं....