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कपड़े / शेरको बेकस / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
बेकस अक्सर कहा करते थे —
वह हर ख़ुशी
जिसे पहन लेता हूँ मैं
उसकी बाँहें
या तो बहुत छोटी होती हैं
या बहुत लम्बी
या ढीली होती हैं वे
या काफ़ी कसी हुई
और जब
किसी दुख को
पहनता हूँ मैं
तो एकदम ठीक बैठता है बदन पर
मानो सिया गया हो उसे
मेरे लिए
कहीं भी, किसी भी समय
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय