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कबूतर / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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उड़ै कबूतर फुर-फुर-फुर
देखथैं-देखतै ई काफुर।

एकरा गिरै के कुछ नै डर
आसमान तक एकरोॅ घर।

घोर सलेटी कारोॅ रंग
कोय-कोय लेलेॅ उजरोॅ रंग।

मटर-बूंट सब निगली जाय
उड़ै पुर्र सें, जहाँ बिलाय।

शांति-सुखोॅ के ई संदेश
गुटरू-गूं सुर मद्धिम-टेस।