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कभी तो जागेगा वैताल देखते रहिए / विनोद तिवारी
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कभी तो जागेगा वैताल देखते रहिए
युग का विक्रम है ख़स्ता-हाल देखते रहिए
सुना है गाँव में कल रात को जलसा होगा
सुबह बन जाएगा पंडाल देखते रहिए
अभी अधूरा है इस देश का औद्योगिकरण
हुआ है आदमी बेहाल जागते रहिए
चमन में आजकल चिड़ियों को चैन नामुमकिन
तने हैं चारों तरफ़ जाल देखते रहिए
ख़ुद अपने चएहरे पर शक कर रहे हैं लोग यहाँ
शहर में बढ़ गए नक़्क़ाल देखते रहिए