कमेरे और लुटेरों की ईब / रामफल सिंह 'जख्मी'
कमेरे और लुटेरों की ईब, पाले बंदी होगी
लूटणिये ना खत्म हों, तब तक ना संधी होगी
लूटणिए तनै म्हारी गेल म्हं, मोटा जुल्म कमा राख्या,
म्हारी हड्डी-पसली, चाम, तनै खून घूंट कै खा राख्या,
थोड़ी म्हं ल्यो मौज मना, हमें ऐसा पाठ पढ़ा राख्या,
दिन-रात कमाणे आले को, तनै कमीण बता राख्या,
जो कवियों नै भी गा राख्या, सब झूठ पुलिंदी होगी
ईश्वर का अवतार हो राजा, ऐसी सीख सिखाई,
जो खुश हो कै राजा दे दे, उस की करो बढ़ाई,
कर्म करे ज्या फल की इच्छा, ना कर रै मेरे भाई,
गीता का उपदेश बता, इसी जुल्मी सैल चलाई,
पता लग्या या तेरी पढ़ाई, म्हारे गल की फंदी होगी
घोड़े के पाछै सरकार के आगै, बिल्कुल ना आणा चाहिए,
भला-बुरा जो ठ्या ज्या, तनै शीश झुकाणा चाहिए,
जिसकी चाबै बाकळी, गीत उसका गाणा चाहिए,
अपणी लूट बचावण नै, कई ढंग का बाणा चाहिए,
इसे प्रचार करणियां पै ईब, फुल पाबंदी होगी
उडै खड्या गण्डासा बाजैगा, बता मरता के ना करता,
भूख और बीमारी तै, कोए कुपोषण ते मरता,
मरणा सै तो लड़ कै मर, लड़े बिना ना सरता,
रण जीतै सूरा लड़ कै, ‘रामफल सिंह’ क्यूं डरता,
रहै तेज धार म्हारी तेग की, ना बिल्कुल मंदी होगी