भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कर याद अपने बर्बादे मुहब्बत / तारा सिंह
Kavita Kosh से
कर याद अपने बर्बादे मुहब्बत,हम बहुत रोये मगर
हमारे अश्कों को तुम्हारे दामन का सहारा न मिला
दर्दे-दिल सुनाता जाकर किसे , मेरे पाँव के नीचे
जमीं तो थी,मगर आसमां पे कोई सितारा न मिला
राहें - जिन्दगी कटती रही यक्का1 ओ तनहा
मुकामे - आशना2 में कोई हमारा न मिला
बे-दवा दिल के छाले हमराज बनकर साथ रहे
बंदे - गम3 से कभी हमें छुटकारा न मिला
हालाते-दर्दे जिगर, कैदे-हयात4 में गिरते-पड़ते
उठते रहे, साहिल तो मिला, किनारा न मिला
1.इक्का 2. पहचानने वालों में 3. दुख का बंधन 4.जिंदगी में कैद