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करिया करिया बादर / ध्रुव कुमार वर्मा

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नदिया उछलय रद्दा बिछलय,
खेत खार लहरावय रे।
नदियाँ पाके नवा जवानी,
आज गजब इतरावय रे।

बादर उमड़य करिया करिया
झिमिर झिमिर गिरय पानी।
छिपिक छिपिक नाचत हावय,
भाठा ऊपर जल के रानी।
मारय झोंका, डारा डोलय,
पाना मन के पानी चूहय
फुनगी मां बइठे कउवा के जोड़ी
मूंड़ गजब मटकावय रे॥1॥

भींजिस लुगरा मंडलिन के,
अऊ डाढ़ी हा कांपत हावय।
मंडल ओढ़े कमरा-खुमरी,
देख ओला मुसकावत हावय।
भूख भागथे काम धाम मां
खेत खार हा नीक लागथे।
एक्के संग सब माई लोगन
सूआ गीत ला गावय रे॥2॥

सुरुज देवता कभ्भू छुपय,
कभ्भू झांकय बादर ले।
बहू रद्दा देखय, राजा,
आही कोनी डाहर ले।
करिया करिया बादर उमड़य
संझाती के बेरा मां,
अकेल्ला मां ओ बपुरी ला
गजबे सुरता आवय रे॥3॥

ककरो कुरिया चूहत हावय
ककरो भितिया सिहरत हे।
हावा पानी मं डारा मन हा,
डोकरा सही निहरत हे।
खोंधरा भीतरी नरियावत हे,
चिरइय्या के पीला मन
ओकर माई खोज खोज के
दाना चारा लावय रे॥4॥

बिजली चमकय बादर गरजय,
रतिहा लागय सांय सांय।
अकेल्ला गोल्लर गली मां,
करत हावै फांय फांय।
अपन पेट मां मूड़ खुसेरे
कुकुर सूतय चौरा मां
मेंचका अऊर भिंदाल रात भर
रामायण उमचावय रे॥5॥