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कर्ण-मंगलाचरण / रामधारी सिंह ‘काव्यतीर्थ’
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गिरिजानंदन गणेश केॅ सुमरौं बारंबार ।
कर्ण-कथा पूरा करौं, सुनोॅ हमरोॅ पुकार ।।
सुनोॅ हमरोॅ पुकार, दानवीर रणवीर छै ।
वचनधीर, सहनशील, तेजस्वी मतिधीर छै ।।
अधिरथ सुतकर्ण तेॅ कुन्तिये नन्दन ।
फेनु विनय करै छी, सिद्धि गिरिजानंदन ।।