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कल तक मुझसे दूर बहुत था / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
कल तक मुझसे दूर बहुत था अब वह कितने पास हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।
आया नहीं कभी चर्चा में
आया नहीं सवालों में भी।
आया नहीं कभी जो अब तक
ख़्वाबों और ख़यालों में भी।
बिलकुल आम रहा जो अब तक वह अब कितना ख़ास हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।
उसको देखे बिना आजकल
मुझसे नहीं रहा जाता है।
लेकिन दिल का हाल अभी भी
उससे नहीं कहा जाता है।
सच पूछो तो अब वह मेरे जीवन की हर आस हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।
उससे मिलना लगता मुझको
मेरे कुछ पुण्यों का फल है।
जब भी उसको देखूँ लगता-
वो पावन गंगा का जल है।
इसीलिए लगता है अब वह मेरी पावन प्यास हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।