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कलयुग / सुशान्त सुप्रिय
Kavita Kosh से
एक बार
एक काँटे के
शरीर में चुभ गया
एक नुकीला आदमी
काँटा दर्द से
कराह उठा
बड़ी मुश्किल से
उसने आदमी को
अपने शरीर से
बाहर निकाल फेंका
तब जा कर काँटे ने
राहत की साँस ली