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कवि / सिर्गेय तिमफ़ेइफ़ / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
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एक बार मैंने एक लड़की को देखा
बड़े -बड़े काले जूते पहने थी वह ।
वह जल्दी में थी
और कहीं जा रही थी ।
उसे देखकर मैंने कुछ कहा
और मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराने लगी ।

हमारे आसपास चारों तरफ़ इतनी कारें क्यों हैं ?
क्यों है इतना ऊँचा आज़ादी का स्मारक ?
ये सफेद जलयान कहाँ जाता है ?

मेरी प्रेमिका सबसे अच्छी है
और वह इसे बात को जानती है ।
वह अपने होंठ रंगती है
चमकदार रंगों से ।

फव्वारे हमेशा ऊपर की तरफ़ ही
क्यों बरसते हैं
और एक निश्चित ऊँचाई पर पहुँचकर ठहर जाते हैं ?

मुझे डाक-टिकट ख़रीदना है
और ख़रीदनी है एक साइकिल
कहाँ मिलेगा डाक टिकट ?

मूल रूसी भाषा से हिन्दी में अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
             Сергей Тимофеев
                  ПОЭТ

Однажды я видел девушку
в больших чёрных туфлях.
Она шла по улице
и торопилась.
Я сказал ей что-то вслед,
и она улыбнулась.
Зачем вокруг столько машин?
Зачем памятник Свободы
такой высокий?
Куда отплывает белый паром?
Моя девушка лучше всех,
и она это знает.
Она красит губы
яркой помадой.
Но почему фонтаны
постоянно бьют вверх
и достигают предела?
И где купить почтовую марку
с велосипедом?.