कवि लिखेगा / गुलज़ार हुसैन
कवि भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखेगा
और उसे बीच चौराहे पर गोली मार दी जाएगी
कवि नरसंहार के विरोध में आवाज़ उठाएगा
और उसे देशद्रोही कहकर फांसी दे दी जाएगी
कवि बलात्कार के खिलाफ नारे लगाएगा
और उसे रातों रात उठवा कर
बीच समंदर में फिंकवा दिया जाएगा
कवि इस नफरत फैलाने के दौर में
अंतर्जातीय प्यार करेगा
और उसके अंग-अंग काटकर
जिन्दा जला दिया जाएगा
कवि सताए गए वंचित जाति समूहों
के पक्ष में खड़ा होगा
और उसके शरीर में गर्म सलाखें भोंक दी जाएंगी
लेकिन इसके बावजूद कवि जीवित रहेगा
क्योंकि उसे जिन्दा रहना होगा
उस आखिरी पंक्ति को लिखने के लिए
जिसके लिखते ही
सारी दुनिया से दमनचक्र को उठा लिया जाएगा
जिसके लिखते ही
हाथों से जंजीरें
और मुंह पर बंधी पट्टी खुल जाएगी
जिसके लिखते ही
सूखे पेड़ों की शाख पर हरी कोंपले उग आएंगी
कवि लिखेगा-
"इन भयानक अपराधों में शामिल है वहाँ की सत्ता भी।"