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कविता-1 / लाल्टू
Kavita Kosh से
सबने जो कहा
उससे अलग
बाकी सिर्फ धुंध था
शब्द उगा
सबने कहा
गुलाब खूबसूरत
शब्द घास तक पहुँचा
किसी ने देखी
घास की हरीतिमा
किसी ने देखा
घास पैरों तले दबी
धुंध का स्वरूप
जब जहाँ जैसा था
वैसा ही चीरा उसे शब्द ने।