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कविता - 3 / योगेश शर्मा
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क्या कभी महसूसा है किसी ने
तथाकथित आलोचकों के भीतर
बहुत गहरे में...
एक बेहतरीन कविता लिखने की
तड़पती हुई इच्छा को?
जो सदा सदा तड़पती रही है भीतर उनके।
इस इच्छा को वरदान है,
अश्वथामा जैसा।