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कविता / उमा शंकर सिंह परमार
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तुम्हारे पाँव मे बाँधकर रुनझुना
गले मे रेशमी रूमाल
बाँधा जाएगा
हल्दी उबटन के पीले लेप से
तुम्हे चमकाकर
चन्दन का शीतल तिलक
मस्तक पर लगाया जाएगा
धूप घी से सजी आरती
घन्टों के रव से नचाकर
तुम्हे सजाया जाएगा
पीपल के हरे नव कोपल
प्रेम की कैंची से कुतर कुतर
तुम्हे खिलाया जाएगा
आ जा आ जा बेटा
भक्तों की मुराद पूरी कर दे
लहराता गण्डासा तुम्हे बुला रहा है
बड़ी श्रद्धा से उतारी जाएगी
तुम्हारी गर्दन
काटीं जाएँगी बोटियाँ जिस्म की
तुम्हारी चीख़ों की दस्तक से
खुल जाएँगे
स्वर्ग के दरवाज़े
हर लोथड़े मे भरी होगी
पुण्यों की मिठास
अरे बेटा जीवन-चक्र बडा निरीह है
बँधा है पुण्य की डोर से सदूर
गर्दनो की सीढ़ी बनाकर
उतरता है धरा पर