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कविता / रेखा चमोली
Kavita Kosh से
कविता नहीं है सिर्फ कुछ शब्द या पंक्तियाँ
कविता
सहमति और असहमति जताती दृढ़ताएँ हैं
रुँधे हुए गले में रुकी हुई पीड़ाएँ हैं
सच्चाई को हारता देख
बेबस लागों का विलाप हैं
तो बार बार गिरने पर
फिर फिर उठने का संकल्प भी हैं
कविता अपने बचाव में हथियार उठाने का विचार हैं
साहस की सीढ़ियाँ हैं
कविता उमंग हैं उत्साह हैं
खुद में एक बच्चे को बचाए रखने का प्रयास हैं।