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कविता / सर्जिओ इन्फेंते / रति सक्सेना
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सच में
किस फूल के बारे में
बतियाऊँ मै तुमसे?
नाम
पंखुड़ियों की निरंतरता
या नाभि-निहित
सुगंध-संगति नहीं है।
नाम शुरू से ही
गंधहीन, कुम्हलाया सा लगता है,
नवजात फल के
रोमगुच्छों को मृत्यु सा घर्राती
शाखा-निस्पंदन से
रोमिल शिखर ताड़ित करती
किसी वायु का नाम
अपूर्व-अनुभव नहीं है।
लेकिन यही तो है मेरे पास,
महज एक नाम
और इस नाम के सिवाय
कुछ भी तो नहीं है
सारा का सारा उद्यान।